Format | Hardcopy |
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Author | SWAMI SATYAPATI JEE APARIVRAJAK |
Editor / Translator Name | स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक |
Writer Name | स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक |
Publisher Name | DARSHAN YOG DHARMARTH TRUST (ROJAD) |
Language | Hindi |
No. of Pages | 368 |
ISBN | 978-81-936179-5-3 |
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योग दर्शन आध्यात्मिक जगत में साधना का एक आधार है । महर्षि पतंजलि जी ने वेदों में उपलब्ध योग विद्या को मानव मात्र के कल्याणार्थ सूत्र रूप में निबद्ध किया था । महर्षि पतंजलि के योग सूत्र पर महर्षि व्यास कृत प्रामाणिक भाष्य उपलब्ध है । जो कि महर्षि पतंजलि के आशय को स्पष्ट करने में परम सहायक है और जिससे हम योग विद्या को समझते हुए आत्मसात् कर सकते हैं । आर्य जगत के प्रतिष्ठित योगनिष्ठ पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक रचित इस पर विस्तृत व्याख्या वाली 'योगार्थ प्रकाश' नामक टीका युक्त यह बृहद ग्रंथ है ।